Breaking News
Home / BREAKING NEWS / बसपा मुखिया मायावती ने समझ ली रणनीति UP में नई चाल से दौड़ेगा हाथी

बसपा मुखिया मायावती ने समझ ली रणनीति UP में नई चाल से दौड़ेगा हाथी


 

बसपा मुखिया ने समझ लिया यूपी के वोटरों का मूंड अब इस पैटर्न पर चलेगी बसपा

​यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा अपना गिरता हुआ ग्राफ बचा पाएगी या फिर नहीं, ये तो आने वाला समय ही बताएगा. मगर, बसपा से छिटका दलित और पिछड़ा वोट बैंक फिर से इक्कठा करने के लिए हाथी ने नई चाल चलना शुरू कर दिया है.
आम तौर से किसी घटना पर ट्वीट और प्रेस रिलीज जारी करने वाली बहुजन समाज पार्टी अब अलग-अलग जगहों पर प्रतिनिधिमंडल दल भेज रही है. खुद को जमीन से जुड़ा हुआ सबित करने के लिए बहुजन समाज पार्टी आमूल चूल बदलाव करती हुई नजर आ रही है. राजधानी के काकोरी में दलित व्यक्ति के साथ हुई तथाकथित घटना के बाद समाजवादी पार्टी का सक्रिय होना और बहुजन समाज पार्टी द्वारा सिर्फ ट्विटर पर राजनीति करना बसपा कार्यकर्ताओं को नहीं भा रहा है बहुजन समाज पार्टी अब कार्यकर्ताओं का मूंड भी जान चुकी है बहुजन समाज पार्टी आक्रामक नजर आ रही है.

बसपा मुखिया मायावती ने समझ ली रणनीति UP में नई चाल से दौड़ेगा हाथी ‘

अब ट्विटर पर नहीं जमीन पर उतरने की तैयारी

आमतौर से बहुजन समाज पार्टी किसी दूसरी पार्टियों से बिल्कुल अलग नजर आती है. एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में काम करने वाली दूसरी सियासी पार्टियों में धरना प्रदर्शन और विभिन्न जगहों पर प्रतिनिधिमंडल भेजने की प्रथा चलती है. वहीं बहुजन समाज पार्टी में प्रेस रिलीज और X के माध्यम से अपनी बात रखे जाने की प्रथा चलती आ रही है. मगर, पिछले कुछ दिनों से बहुजन समाज पार्टी अपनी जमीनी राजनीति को तेजी से बदलती हुई नजर आ रही है. लखनऊ में रैली भी इसी रणनीति का एक हिस्सा था बहुजन समाज पार्टी को यह बात पता चल चुकी है कि जब तक वह आम जनता से कनेक्ट नहीं होगी तब तक सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा.
साल 2012 से सत्ता से बाहर जाने के बाद से बहुजन समाज पार्टी सही से उत्तर प्रदेश में अभी तक प्रदर्शन नहीं कर पाई है. लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की सीटों की संख्या शून्य हो गई और विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाला एक ही व्यक्ति बचा. एक ऐसी पार्टी जो 2007 से लेकर 2012 तक उत्तर प्रदेश में एब्सलूट मेजॉरिटी के साथ सत्ता में थी. अचानक उसके साथ इस तरह की घटना हो गई. जो पार्टी मुखिया को खुद समझ में नहीं आ रही

ट्विटर ,सोशल मीडिया की राजनीति से हुआ बसपा को बड़ा नुकसान

ट्विटर पर घटना की निंदा करना और प्रेस नोट जारी कर दिशा निर्देश जारी करना बसपा को भारी पड़ गया और लगातार बसपा कार्यकर्ता मायूस होकर अन्य पार्टियों में जुड़ते चले गए जिसका खामियाजा बसपा को लोकसभा चुनाव ही नहीं 2022 विधानसभा चुनाव में भी भुगतना पड़ा वर्तमान में भी बसपा पुराने पैटर्न पर है जमीनी स्तर पर कहीं दिखाई नहीं दे रही है और ट्विटर सोशल मीडिया की राजनीति जारी है बसपा के जिला और विधानसभा के नेता भी सोशल मीडिया पर ही राजनीति करते दिख रहे हैं जिनको लेकर अब बसपा मुखिया तक रिपोर्ट पहुंचने के बाद बसपा मुखिया ने रणनीति बदल दी है और अन्य पार्टियों की तरह किसी भी घटना के संबंध में मौके पर कार्यकर्ताओं को भेजने की तैयारी है साथ ही बसपा अब सोशल मीडिया की राजनीति करने वाले नेताओं से दूरी बनाकर जमीन स्तर के कार्यकर्ताओं को ढूंढने में लग गई है

About Rural India News

Check Also

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत? 24 नवंबर को लेंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश की शपथ

🔊 पोस्ट को सुनें कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत? 24 नवंबर को लेंगे भारत के अगले …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *